अर्धकुंभ के अवसर पर भारतीय भाषा महाकुंभ का आयोजन क्यों न किया जाए ?

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15 जनवरी से 4 मार्च के बीच प्रयागराज में होने जा रहे अर्धकुंभ के अवसर पर भारतीय भाषा महाकुंभ का आयोजन क्यों न किया जाए ? परम श्रद्धेय शंकराचार्यगण और साधु संतों के अखाड़े आदि जो भारतीय धर्म – संस्कृति की स्थापना व रक्षा के लिए कृतसंकत्प हैं वे भारतीय भाषाओं की रक्षा हेतु इसका आयोजन क्यों न करें ताकि करोड़ों हिंदु धर्मावलंबी अपनी भाषा तथा धर्म संस्कृति के अटूट संबंध को समझ कर इस दिशा में आगे बढ़ सकें। भारतीय भाषा -संस्कृति के बिना भारतीय धर्म संस्कृति की कल्पना असंभव है। ऐसे सम्मेलन में केवल धार्मिक – सांस्कृतिक महानुभावों के साथ-साथ शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों आदि को भी आमंत्रित किया जाए।

जिस प्रकार कन्नड़ भाषी परम श्रद्धेय जैन मुनि आचार्च श्री विद्यासागरजी महाराज और कई जैन मुनि भारतीय भाषाओं की रक्षा के लिए अग्रसर हो रहे हैं वैसे ही सनातनी हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदाय, सर्वप्रथम हिंदी प्रचार का बीड़ा उठानेवाला आर्ट समाज, सिक्ख, बौद्ध व विभिन्न मतावलंबी साधु-संत आदि को भी आगे बढ़ना चाहिए। शिक्षा – रोजगार, व्यापार-व्यवसाय, विधि-न्याय, ज्ञान-विज्ञान तथा व्यवहार आदि विभिन्न क्षेत्रों से बाहर भारतीय भाषाएं बाहर होती जा रही हैं जिसके चलते नई पीढ़ियाँ न तो देश की भाषाएँ समझ रही हैं और न ही मातृभाषा। सो पीढ़ी बाद स्थिति कैसी होगी अनुमान लगाया जा सकता है । तब कौन सुनेगी धर्म-आध्यात्म की बात, अपनी संस्कृति की बात।

क्या अच्छा हो कि यह कुंभ भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारतीय भाषा – संस्कृति का महाकुंभ बन कर जनजागरण व परिवर्तन का महायज्ञ बन जाए जिसमें देश-विदेश के तमाम भारत व भारत-भाषा प्रेमी अपनी आहुति दे सकें। यदि परम श्रद्धेय शंकराचार्यगण, साधु-संत, मुनि, ज्ञानी, आध्यात्मिक गुरू, स्वामी आदि अपने अनुयाइयों को जागृत कर आह्वान करें तो क्या-कुछ संभव नहीं। तभी भारत इंडिया नहीं सही मायने में भारत बन सकेगा।

सभी सं अनुरोध है कि वे इस विषय पर अपने विचार रखें और सुझाव भी दें कि इसे किस प्रकार आयोजित किया जा सकता है।

डॉ. मोतीलाल गुप्ता आदित्य
निदेशक
वैश्विक हिंदी सम्मेलन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।