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बचपन में सुना था कि नेकी का फल मिलता है,पर आज एक संस्था में मुझे जब उस नेकी की घटना को सुनाने पर प्रथम पुरस्कार दिया गया,तब यकीन भी हो गया।
घटना उस समय की है,जब मैं अपनी बहन के साथ सफ़र कर रही थी। मेरे कम्पार्टमेंट में कुछ अध्यापिकाएं थी। रात ग्यारह बजे मैं अपने शहर पहुंचने वाली थी,इसलिए मैं कुछ देर के लिए लेट गई।जब दस बजे उठी,तो मैंने देखा सभी लोग मेरी सीट के नीचे अपना बचा हुआ खाना रख रहे थे। मैंने झाँककर देखा तो लगा कि, पांच वर्ष के बच्चे की लम्बाई का कोई व्यक्ति है। मैंने भी अपना खाना जब उसे देना चाहा,तो देखा वो ठिठुर रहा था। जनवरी का महीना था और उसके पास एक टॉवल थी बस,और कमर के नीचे का शरीर गायब था। मैंने बिना कुछ सोचे अपनी चादर दोहरी करके उसे उड़ा दी। उसने तुरंत मुस्कुराते हुए उसे अपने शरीर पर लपेटा और फिर उसने खाना खा लिया।
मैं अपनी सीट पर बैठ सोच रही थी कि सभी उसे खाना दे रहे,पर जब वह ठण्ड से बचेगा,तभी तो खाना खाएगा न। उस समय सभी मेरा मुँह देख रहे थे। आज भी जब सामाजिक संस्था में कोई भी ‘यादगार घटना’ सुनाने की प्रतियोगिता में ये घटना सुनाई तो मुझे प्रथम पुरस्कार मिला। तब पता चल गया कि,नेकी का फल इसी जन्म में मिलता है। साथ ही इसका भी अहसास हुआ कि,लोग सामाजिक कार्य में शोहरत के लिए बहुत से कार्य करते हैं,पर हमारे आस-पास के लोगों की छोटी-छोटी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ करते हैं।
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
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