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न जाने क्या थी उसको कसर,
जो छोड़ गई बीच में वो सफर।
जमाने की चकाचौंध में इतनी,
हुई दिवानी कि नहीं रखा सबर॥
कर रहें हम तो यादों में बसर,
उसको भी है इसकी खबर।
जिन्दगी खट्टा-मीठा आनंद है,
दिल की बातें आज है बेअसर॥
जमाने के सच का हुआ असर,
जीने के लिए जरुरी है हमसफर।
तन-मन,गुलशन खिल जाता है,
जब हो संग अपना हमसफर॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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