इस तरह हम जो उजालों में नहीं आएंगे,
हम तेरे चाहने वालों में नहीं आएंगेl
उनको कहने का नहीं देंगे कभी भी मौका,
फिर कभी ऐसे सवालों में नहीं आएंगेl
दर्द बस ये है मुझे भूल गए हैं वो भी,
अब कभी उनके ख्यालों में नहीं आएंगेl
उनको हर हाल में जलते हुए रहना होगा,
बुझ गए हैं तो मशालों में नहीं आएंगेl
उनके कहने से हकीकत न बदल जाएगी,
सांवले लोग तो कालों में नहीं आएंगेl
ये सियासत हमें अब और न ठग पाएगी,
हम किसी शकुनी की चालों में नहीं आएंगेl
अब कतर देंगे बनाए हुए पंखों को सभी,
वो बिछाएं भी तो जालों में नहीं आएंगेl
बेबसी मुझको सिमटने भी अगर देती है,
हम नदी हैं तेरे नालों में नहीं आएंगेll
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है
और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl