दिल की है , बात जो ये

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दिल की है , बात जो ये ,
इसको दिल में , रहने दो।
होंठ खामोश रहें ,
दिल को दिल से , कहने दो।
दिल की है , बात जो ये ,
इसको दिल में , रहने दो।।

डूबती कश्ती का ,
डूबता , मांँझी हूँ मै।
डूबता सूरज जहाँ,
पल वही , साँझी हूँ मै।।
मुझसे ना , आस रखो -2
मुझसे आस , रहने दो।
दिल की है , बात जो ये ,
इसको दिल में , रहने दो।।

बात कुछ , ऐसी करो ,
जिससे मन , बहल जाये।
टूटा सपनों , का था कल
फिर से बन , महल जाये।।
दिल में जज्बात बसे ,
जिंदगी , संवर जाये।।
रहने दो , ख्वाब तुम ये ,
ख्वाब तुम , ये रहने दो।।-2
दिल की है बात जो ये ,
इसको दिल में रहने दो।।

ढूंढते , मुझमें क्या हो ,
ऐसी तकल्लुफ , क्यों यहाँ।
राख का ढ़ेर बचा ,
जिंदगी , हुई है धुँआ।।
आँखों में , अश्क है क्यों ,
इनको खुलके , बहने दो।-2
दिल की है , बात जो ये ,
इसको दिल में, रहने दो।।

माना के, राज रहा ,
किरदार , तमाम उम्र मेरा।
लेकिन मै राज नही ,
दोष था ये , नजरों का।।
कहते क्या , तुमसे हमीं।
तुमने समझा ही नही।।
छोड़ो अब , राज मुझे ,
राज मुझको , रहने दो।
दिल की है , बात जो ये ,
इसको दिल में , रहने दो।।

परिचय:-

नाम – राजकुमार प्रतापगढ़िया
निवास -सोनिया विहार (दिल्ली)
जन्म – 7/7/1982
*ज०स्थान -बिंजाहड़ी ग्राम , प्रतापगढ़
*(उत्तर प्रदेश)*

साहित्यक परिचय–

रुचि – काव्य, लेखन , गायन ,
चित्रकला व अभिनय।
पुरस्कृत– नई दिल्ली नगर पालिका
परिषद द्वारा सर्वश्रेष्ठ कवि ,
पोयट्री कल्बस मंच द्वारा
सर्वश्रेष्ठ कविता वाचक
अवार्ड , काव्य कलश द्वारा
बेहतरीन काव्यसृजन
प्रतियोगिता में विजेता तय
किया गया। इसी प्रकारअन्य
बहुत से मंचों द्वारा सराहा व
पुरस्कृत किया गया।
लेखन – आनलाइन एप्लिकेशन
प्रतिलिपि पर सराहनी लेख कहानियां- एक प्यार ऐसा भी ,
प्रतिशोध ,पनवाड़ी का बेटा
और वेश्या जैसी समाज को
झंझोड़ने वाली कहानी का
लेखन।
शैली – हास्य ,ओज , श्रृंगार व
समाजिक विषय।

प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर के पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित

प्रांत व प्रांत से बाहर राष्ट्रीय स्तर पर कवि सम्मेलनों व मुशायरे में शिरकत

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।