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धरा-गगन के बीच पसरता…
जो अनंत आकाश,
सत्य-संध शायक बेधता है …
उसको बन पुंज प्रकाश।
पुण्य धरित्री-धरा-धर्म हित,
जो प्राणार्पण करते हैं;
सकल छद्म,षडयंत्र समर कर,
महाप्रलय सम भिड़ते हैं।
शूर नहीं,भिक्षुक होते हैं…
कभी विजय-जीवन के।
वरते स्वयं स्वयं-जय को…
निज भुज-बल से वीरों के।
सकल मनुजता की रक्षा का
जो नर प्रण करते हैं;
ओरों की क्या बात समर में,
काल से भी न कभी डरते हैं।
चट्टानों से दृढ़ प्रतिज्ञ हो
जो राहों पर बढ़ते हैं…,
वही योद्धा इतिहासों के..
स्वर्णाक्षर गढ़ते हैं॥
#निकेता सिंह `संकल्प`(शिखी)
परिचय : निकेता सिंह का साहित्यिक उपनाम-संकल्प(शिखी) है। जन्मतिथि- १ अप्रैल १९८९ तथा जन्म स्थान-पुरवा उन्नाव है। वर्तमान में वाराणसी में रह रही हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव-लखनऊ शहर की निकेता सिंह ने बीएससी के अलावा एमए(इतिहास),बीएड, पीजीडीसीए और परास्नातक(आपदा प्रबंधन) की शिक्षा भी हासिल की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षा विभाग) है। आप सामाजिक क्षेत्र में शिक्षण के साथ ही अशासकीय संस्था के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के लिए कार्यरत हैं। लेखन में विधा-गीतकाव्य, व्यंग्य और ओज इत्यादि है। क्षेत्रीय पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
सम्मान के रुप में आपको क्षेत्रीय कवि सम्मेलनों में युवा रचनाकार हेतु सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय हैं तो उपलब्धि काव्य लेखन है। आपके लेखन का उद्देश्य-जनमानस तक पहुँच बनाना है।
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Wed Dec 20 , 2017
आज इंटरनेट यानि अंतरजाल के माध्यम से कहानियां, कविता,उपन्यास, संवाद,ग्रंथ, समाचार पत्रिका,ई-बुक्स एवं ई-पत्रिका ने अपनी जड़ें मजबूत करने के साथ-साथ हिंदी का प्रचार-प्रसार भी बढ़ाया है। आप कविता या कहानी लिखते हों,तो आज के कवि या लेखक को अंतरजाल चलाना पहले ही चलाना सीखना होगा,क्योंकि अपनी रचनाएं लाखों लोगों […]