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आज सुन रहा हूँ
मैं भूख की किलकारियां।
मेरे घर में भी होती थी
केसर की क्यारियां॥
आज मेरे देश को क्या
हो गया हे राम जी!
जिसे देखता हूँ वही
निकालता है गालियां॥
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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