पहरेदार है अडिग हिमालय ,
गंगा जिसकी आत्मा है ।
क़ाबा से कैलाश तक यहां,
कण कण में परमात्मा है ।।
जिसकी संस्कृति महान है ।
ये मेरा हिंदोस्तान है ।।
अहिंसा की तपोधरा है ,
भंडार रत्नों से भरा है ।
पावन भूमि ऋषियों की,
दिन रात जिन्होंने जप करा है ।।
भरत का अभिमान है ।
ये मेरा हिंदोस्तान है ।।
चांद तक पहुंच गये है ,
क़दम फिर भी थमे नहीं है ।
बर्फ़ के हिमालय में भी,
बाज़ू हमारे जमे नहीं है ।।
गौतम गांधी का वरदान है ।
ये मेरा हिंदोस्तान है ।।
#डॉ.वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।