मेरी दिली उलझन

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manak lal
अब तो मुझे जीने दो चैनो-अमन से,
बहुत सताया मुझे तुमने नैनों दमन सेl
जिंदगी बेज़ार न करो मेरी तड़पन से,
आओ मिलो मेरी दिली उलझन सेl
शातिर जमाना है खेलता धड़कन से,
उसको मतलब पूर्ति उसके सपन सेl
बस यूं ही खेलते हैं वो सब दिलन से,
उसे परहेज है शायद रूबरू मिलन सेl
पता न इतना भी दूर जाएगा जहन से,
`मनु` कहना इश्क़ होगा अब कफन सेl
#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन  विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय  समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है। 

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