सबके दिलों का हाल जानता कौन है ?
अब बुरे वक़्त में हमें पहचानता कौन है ?
यहाँ उम्र बीत जाती है जोड़ने में रिश्ते,
पल भर में तोड़ देते हैं निभाता कौन है ?
सब जीते हैं अपने गुरुर को बचाने में,
एक-दूसरे की बात आज-कल मानता कौन है ?
होड़ मची है मंज़िलों को पाने की हर तरफ़ा,
राह में फंसों को आज-कल निकालता कौन है ?
चाहता हूँ डूब जाना मय-कदा-ऐ-इश्क़ में,
मगर मुफ्त में आँखों से पिलाता कौन है ?
#कमल कर्मा`के.के.’
परिचय:कमल कर्मा का उपनाम-के. के. है। आपका नाता खरगोन (मध्यप्रदेश) जिले के ग्राम-दसोड़ (तहसील-बड़वाह)से है। १ जून १९८७ को खरगोन जिले की बड़वाह तहसील के ग्रम दसोड़ा में जन्मे तथा शुरुआती शिक्षा गांव और पास स्थित सनावद में ली। फ़िर उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि २००९ में प्राप्त की। आपके कार्यक्षेत्र की शुरुआत संघर्ष से ही हुई है। भारत की कई कम्पनी मेंकाम कर चुके श्री कर्मा वर्तमान में बड़ी कम्पनी में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। काव्य में महाविद्यालय के दिनों से ही रुचि ही है। इनकी रचनाएं वेब पोर्टल पर प्रदर्शित हुई है।