सोचता रहता हर पल मन, कभी कुछ-कभी कुछ कहता मन l
मन की गति अति चंचल,
बहती रुकती नहीं एक पल l
एक ठोर इसे नहीं भाती,
यह प्रतिक्षण बढ़ती जाती l
लाँघ कितने सरिता गिरि सागर,
बढ़ती पवन वेग लजाकर l
बँधते सुमति-कुमति के बेरे,
लगते अति इच्छाओं के डेरे l
सबमें बस विवेक सहारा,
सृजन को जिसने सदा निहारा l
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।