जिंदगी खुली किताब की तरह है।
विचारों में जरा खुलापन रखिए॥
रिश्ते यूँ ही नहीं बनते जिंदगी में।
इनमें थोड़ा तो अपनापन रखिए॥
खुशबू की तरह महकते रहो।
हर गरीब के काम आते रहो॥
रोशन करो झोपड़ी उनकी।
फिर खुशी से चहकते रहो॥
भगवान ने कितने सुन्दर चरित्र किए।
हर रिश्ते को जीने के सारे तरीक़े दिए॥
इंसान कितना खुदगर्ज़ निकला दोस्तों।
इसने जीवन में सारे काम विचित्र किए॥
हैरान हैं लोग खुदा तेरे तोहफे देखकर।
खुदा ने कितने सारे हुनर मुझे दिए ॥
तू चाहे गुण ग्रहण कर,चाहे दोष सारे।
ये सारे निर्णय लेने के हक तुझे दिए॥
तू छीन ले सारी दौलत,मगर ईमान रखना।
मेहनत की रोटी कमाना और मस्त रहना॥
यूँ ही फ़िज़ूल में बातें करेंगे लोग दुनिया के।
तू हर पल नेक काम करने में व्यस्त रहना॥
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।