तम की व्यथा मिटाने को बस एक दीया ही काफी है,
रोशन अन्तर्मन करने को बस एक दीया ही काफी है।
अँधियारे लाख मिले पथ में,न सरोकार मुझको उनसे,
जग की आँखों का तारा,भटके राही का मात्र सहारा मैं…
जग को विश्वास दिलाने को बस एक दीया ही काफी है।।
अँधियारे लाख मिले पथ में,वो मुझे डिगा न पाएंगे,
मैं तो राही हूं रातों का,वे क्या डर मुझको बतलाएंगे।
आँधी आए-तूफां आए,चाहे वो मुझको भटकाए,
सूरज का अनुयाई मैं ठहरा,मैं कैसे अँधियारों से डरता…
अँधियारे का दंभ मिटाने को,बस एक दीया ही काफी है।।
राह कठिन ही चुनो सदा,चुनौतियों से डरा नहीं करते,
जीवन भी एक चुनौती है,राह पलायन की चला नहीं करते।
दिन-रात का खेल है ये जीवन दुख की रातें लगती लंबी,
मानुष जन्म मिला हमको,हर मुश्किल का हल हम ढूँढेंगे
रातों में डरा नहीं करते,दीपक से सीखा करते हैं…
अँधियारे का साम्राज्य मिटाने को बस एक दीया ही काफी है।।
#सुषमा दुबे
परिचय : साहित्यकार ,संपादक और समाजसेवी के तौर पर सुषमा दुबे नाम अपरिचित नहीं है। 1970 में जन्म के बाद आपने बैचलर ऑफ साइंस,बैचलर ऑफ जर्नलिज्म और डिप्लोमा इन एक्यूप्रेशर किया है। आपकी संप्रति आल इण्डिया रेडियो, इंदौर में आकस्मिक उद्घोषक,कई मासिक और त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन रही है। यदि उपलब्धियां देखें तो,राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 600 से अधिक आलेखों, कहानियों,लघुकथाओं,कविताओं, व्यंग्य रचनाओं एवं सम-सामयिक विषयों पर रचनाओं का प्रकाशन है। राज्य संसाधन केन्द्र(इंदौर) से नवसाक्षरों के लिए बतौर लेखक 15 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन, राज्य संसाधन केन्द्र में बतौर संपादक/ सह-संपादक 35 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। पुनर्लेखन एवं सम्पादन में आपको काफी अनुभव है। इंदौर में बतौर फीचर एडिटर महिला,स्वास्थ्य,सामाजिक विषयों, बाल पत्रिकाओं,सम-सामयिक विषयों,फिल्म साहित्य पर लेखन एवं सम्पादन से जुड़ी हैं। कई लेखन कार्यशालाओं में शिरकत और माध्यमिक विद्यालय में बतौर प्राचार्य 12 वर्षों का अनुभव है। आपको गहमर वेलफेयर सोसायटी (गाजीपुर) द्वारा वूमन ऑफ द इयर सम्मान एवं सोना देवी गौरव सम्मान आदि भी मिला है।