मोदी को बचाए बस मोदी ही

0 0
Read Time3 Minute, 39 Second
vaidik
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की यह पहली बड़ी सभा थी। लंबे समय से रामलीला मैदान में इतनी भीड़ जमा नहीं हुई थी। भीड़ जमा करने में कांग्रेस पार्टी की महारत को कौन नहीं जानता ? लेकिन राहुल-जैसे अपरिपक्व नेता के नाम पर दिल्ली की गर्मी में इतनी भीड़ का जमा होना क्या बताता है ? क्या यह नहीं कि कांग्रेस की हालत कितनी ही पतली हो, उसके कार्यकर्त्ताओं में अब आशा के अंकुर फूटने लगे हैं। उन्हें पता है कि मोदी के खिलाफ अभी तक देश में आक्रोश की लहर नहीं उठी है लेकिन कांग्रेस आक्रोश-रैली के नाम से उस लहर को उठाने की कोशिश कर रही है। वैसे देश को देने के लिए कांग्रेस के पास अपना कोई संदेश नहीं है। कोई आश्चर्य नहीं कि आजकल चल रही मोदी से मोहभंग की लहर अगले छह माह में इतना तूल पकड़ ले कि वह आक्रोश की लहर में बदल जाए। लेकिन असली सवाल यह है कि उस आक्रोश की लहर पर सवार होने लायक कोई नेता क्या अभी भारत में है ? मोदी से कहीं अधिक अनुभवी, बुद्धिमान और शिष्ट नेता भाजपा में भी हैं  और प्रतिपक्ष में भी हैं लेकिन उनमें से आज कोई भी मोदी को चुनौती देने लायक नहीं है। बिल्कुल यही प्रश्न जरा याद करें कि 2014 में सोनिया-मनमोहन के सामने था या नहीं ? बिल्कुल था लेकिन फिर भी वे हार गए। नरेंद्र मोदी का नाम अचानक उभरा और लोगों ने उस नाम के सिर पर ताज रख दिया। यह नाम जितना सदनाम था, उससे ज्यादा बदनाम था। 2004 में अटलजी की हार का भी वह एक कारण था लेकिन लोगों ने उसे क्यों चुन लिया ? इसीलिए चुन लिया कि लोग कांग्रेस से बेहद चिढ़ गए थे। लोगों की चिढ़न इतनी हद पार कर चुकी थी कि मोदी तो क्या, जो भी सामने आ जाता, उसके गले में वह माला डाल देती। कहीं 2019 में फिर यही किस्सा दोहराया तो नहीं जाएगा ? डर यही है। यह देश का दुर्भाग्य होगा। लेकिन मोदी यदि चाहें तो भाजपा की नाव को डूबने से अब भी बचाया जा सकता है। पिछले चार साल में इस सरकार ने जितने भी लोक-कल्याणकारी फैसले किए हैं, उनके ठोस परिणाम जनता को दिखाएं जैसे कि छह लाख गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कल पूरा हुआ है। इसके अलावा अपना समय नौटंकियों, भाषणों और विदेश-यात्राओं में बर्बाद न करें। शी चिन फिंग या ट्रंप या पुतिन आपकी डूबती नाव को कोई टेका नहीं लगा सकते। भाषण खूब झाड़ लिये। अब जनता की भी सुनें। जनता दरबार लगाएं। पत्रकार-परिषद करें। पार्टी-कार्यकर्ताओं से मिलें। भाजपा को मां-बेटा (कांग्रेस) की तरह भाई-भाई पार्टी न बनाएं।
                                        #डॉ. वेदप्रताप वैदिक

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

चला जा रहा कमाने

Thu May 3 , 2018
मन में कुछ ठाने, झोला,झंडी ताने, कपड़े वही पुराने, चला जा रहा कमाने!! परिवार की तमाम ख्वाहिशो को, जिम्मेदारियों से खुद को बांधे, चला जा रहा कमाने! कपड़े नही ढंग के तन में, परेशानी हैं घर की सामने, जाने को मन बिल्कुल ना माने, फिर भी, चला जा रहा कमाने!! […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।