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जननी-सी कोमल हिन्दी,
निज भाषा का सम्मान रहे,
अपनेपन की महक लुटाती,
हिन्दी पर अभिमान रहे।
भारतेंदु और द्विवेदी ने,
इसकी जड़ों को सींचा है,
ऐसे वरद पुत्रों से जग में,
माँ का मस्तक ऊँचा है।
निज गौरवशाली भाषा का,
हमको भी तो ज्ञान रहे।
अपनेपन की महक…….॥
विदेशियों की भाषा पर,
माना अधिकार ज़रूरी है,
राष्ट्र धर्म की मान बिंदु,
हिन्दी से प्यार ज़रूरी है।
रहे गर्व, निज भाषा से,
जग में अपनी पहचान रहे,
अपनेपन की महक लुटाती,
हिन्दी पर अभिमान रहे॥
#कैलाश भावसार