अमृतसर रेल दुर्घटना विभीषिका

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chandresh chatlani
अमृतसर रेल दुर्घटना विभीषिका पर 5 लघुकथाएं ……….
(1). मेरा जिस्म
एक बड़ी रेल दुर्घटना में वह भी मारा गया था। पटरियों से उठा कर उसकी लाश को एक चादर में समेट दिया गया। पास ही रखे हाथ-पैरों के जोड़े को भी उसी चादर में डाल दिया गया। दो मिनट बाद लाश बोली, “ये मेरे हाथ-पैर नहीं हैं। पैर किसी और के – हाथ किसी और के हैं।
“तो क्या हुआ, तेरे साथ जल जाएंगे। लाश को क्या फर्क पड़ता है?” एक संवेदनहीन आवाज़ आई।
“वो तो ठीक है… लेकिन ये ज़रूर देख लेना कि मेरे हाथ-पैर किसी ऐसे के पास नहीं चले जाएँ, जिसे मेरी जाति से घिन आये और वे जले बगैर रह जाएँ।”
“मुंह चुप कर वरना…” उसके आगे उस आवाज़ को भी पता नहीं था कि क्या कहना है।
 (2). ज़रूरत
 उस रेल दुर्घटना में बहुत सारे लोग मर चुके थे, लेकिन उसमें ज़रा सी जान अभी भी बची थी। वह पटरियों पर तड़प रहा था कि एक आदमी दिखा। उसे देखकर वह पूरी ताकत लगा कर चिल्लाया, “बचाओ…. बsचाओ….”
आदमी उसके पास आया और पूछा, “तुम ज़िंदा हो?”
वह गहरी-गहरी साँसे लेने लगा।
“अरे! तो फिर मेरे किस काम के?”
कहकर उस आदमी ने अपने साथ आये कैमरामैन को इशारा किया और उसने कैमरा दूसरी तरफ घुमा दिया।
 (3). मौका
 एक समाज सेवा संस्था के मुखिया ने अपने मातहत को फ़ोन किया, “अभी तैयार हो जाओ, एक रेल दुर्घटना में बहुत लोग मारे गए हैं। वहां जाना है, एक घंटे में हम निकल जाएंगे।”
“लेकिन वह तो बहुत दूर है।” मातहत को भी दुर्घटना की जानकारी थी।
“फ्लाइट बुक करा दी है, अपना बैनर और विजिटिंग कार्ड्स साथ ले लेना।”
“लेकिन इतनी जल्दी और वो भी सिर्फ हम दोनों!” स्वर में आश्चर्य था।
“उफ्फ! कोई छोटा कांड हुआ है क्या? बैनर से हमें पब्लिसिटी मिलेगी और मेला चल रहा था। हमसे पहले जेवरात वगैरह दूसरे अनधिकृत लोग ले गये तो! समय कहाँ है हमारे पास?”
 (4). संवेदनशील
 मरने के बाद उसे वहां चार रूहें और मिलीं। उसने पूछा, “क्या तुम भी मेरे साथ रेल दुर्घटना में मारे गए थे?”
चारों ने ना कह दिया।
उसने पूछा “फिर कैसे मरे?”
एक ने कहा, “मैनें भीड़ से इसी दुर्घटना के बारे में पूछा कि ईश्वर के कार्यक्रम में लोग मरे हैं। तुम्हारे ईश्वर ने उन्हें क्यूँ नहीं बचाया, तो भीड़ ने जवाब में मुझे ही मार दिया।”
वह चुप रह गया।
दूसरे ने कहा, “मैंने पूछा रेल तो केंद्र सरकार के अंतर्गत है, उन्होंने कुछ क्यूँ नहीं किया? तो लोगों ने मेरी हत्या कर दी।”
वह आश्चर्यचकित था।
तीसरे ने कहा, “मैनें पूछा था राज्य सरकार तो दूसरे राजनीतिक दल की है, उसने ध्यान क्यूँ नहीं रखा? तब पता नहीं किसने मुझे मार दिया?”
उसने चौथे की तरफ देखा। वह चुपचाप सिर झुकाये खड़ा था।
उसने उसे झिंझोड़ कर लगभग चीखते हुए पूछा, “क्या तुम भी मेरे बारे में सोचे बिना ही मर गए?”
वह बिलखते हुए बोला, “नहीं-नहीं! लेकिन इनके झगड़ों के शोर से मेरा दिल बम सा फट गया।”
 (5). और कितने
 दुर्घटना के कुछ दिनों बाद देर रात वहां पटरियों पर एक आदमी अकेला बैठा सिसक रहा था।
वहीँ से रात का चौकीदार गुजर रहा था, उसे सिसकते देख चौकीदार ने अपनी साइकिल उसकी तरफ घुमाई और उसके पास जाकर सहानुभूतिपूर्वक पूछा, “क्यूँ भाई! कोई अपना था?”
उसने पहले ना में सिर हिलाया और फिर हाँ में।
चौकीदार ने अचंभित नज़रों से उसे देखा और हैरत भरी आवाज़ में पूछा, ” भाई, कहना क्या चाह रहे हो?”
वह सिसकते हुए बोला, “थे तो सब मेरे अपने ही… लेकिन मुझे जलता देखने आते थे। मैं भी हर साल जल कर उन्हें ख़ुशी देता था।”
चौकीदार फिर हैरत में पड़ गया, उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा, “तुम रावण हो? लेकिन तुम्हारे तो एक ही सिर है!”
“कितने ही पुराने कलियुगी रावण इन मौतों का फायदा उठा रहे हैं और इस काण्ड के बाद कितने ही नए कलियुगी रावण पैदा भी हो गए। मेरे बाकी नौ सिर उनके आसपास कहीं रो रहे होंगे।”
परिचय 
नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान) 
पता – उदयपुर (राजस्थान) 
 
 लेखन – लघुकथा, कहानी,  कविता, ग़ज़ल, गीत, लेख, पत्र
मधुमति (राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका), लघुकथा पर आधारित “पड़ाव और पड़ताल” के खंड 26 में लेखक, अविराम साहित्यिकी, लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह), लाल चुटकी (रक्तदान विषय पर साझा लघुकथा संग्रह), नयी सदी की धमक  (साझा लघुकथा संग्रह),  अपने अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह), सपने बुनते हुए (साझा लघुकथा संग्रह),  नव-अनवरत, दृष्टि (पारिवारिक लघुकथा विशेषांक), दृष्टि (राजनैतिक लघुकथा विशेषांक), हिंदी जगत (विश्व हिंदी न्यास, न्यूयॉर्क द्वारा प्रकाशित), विभोम-स्वर, वागर्थ, हिंदीकुञ्ज, laghukatha.comopenbooksonline.com, विश्वगाथा, शुभ तारिका, अक्षर पर्व, एम्स्टेल गंगा (नीदरलैंड से प्रकाशित), सेतु पत्रिका (पिट्सबर्ग से प्रकाशित), शोध दिशा, ककसाड़, साहित्य समीर दस्तक, अटूट बंधन, सुमन सागर त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक राजस्थान पत्रिका, किस्सा-कृति (kissakriti.com), वेब दुनिया, कथाक्रम पत्रिका, करुणावती साहित्य धारा त्रैमासिक, साहित्य कलश त्रैमासिक, मृग मरीचिका, अक्षय लोकजन, बागेश्वरी, साहित्यसुधा (sahityasudha.com),  सत्य दर्शन, साहित्य निबंध, युगगरिमा, युद्धरत आम आदमी, जय-विजय, शब्द व्यंजना, सोच-विचार, जनकृति अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका, सत्य की मशाल, sabkuchgyan.com, रचनाकार (rachanakar.org), swargvibha.inhastaksher.comekalpana.netstorymirror.comhindilekhak.combharatdarshan.co.nzhindisahitya.orghindirachnasansar.com, अमेजिंग यात्रा, निर्झर टाइम्स, राष्ट्रदूत, जागरूक टाइम्स, Royal Harbinger, दैनिक नवज्योति, एबेकार पत्रिका, सच का हौसला दैनिक पत्र, सिन्धु पत्रिका, वी विटनेस,  आदि में रचनाएँ प्रकाशित

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