रूठे सागर को मनाने का हुनर आता है,
चांद काे ख्वाब दिखाने का हुनर आता है l
दर्द काे फूल-सलीके से बना देते हैं,
जिनको हर जख्म भुलाने का हुनर आता है l
पल में सो जाता है आंचल में बिलखता बच्चा,
मां को क्या खूब सुलाने का हुनर आता है l
वो लगा देते हैं चेहरे पे उजाले अक्सर,
जिनको आईना बनाने का हुनर आता है l
तिल को इक पल में ही जो ताड़ बना देते हैं,
उनको अखबार चलाने का हुनर आता है l
#डॉ. भावना
परिचय: डॉ. भावना का जन्म-20 फरवरी,1976 को हुआ है l आपकी शिक्षा-एमएससी(रसायन शास्त्र),पी.एच-डी. के साथ ही एलएलबी,डी.एन.एच.ई. है l आप बिहार प्रदेश के मुजफ्फरपुर में न्यू पुलिस लाइन के समीप(बैरिया) रहती हैं l पेशे से प्राध्यापिका डॉ.भावना की प्रकाशित कृतियों में-अक्स कोई तुम-सा (ग़ज़ल-संग्रह),शब्दों की कीमत (ग़ज़ल -संग्रह) तथा सपनों को मरने मत देना (काव्य संग्रह) आदि प्रमुख हैं l सम्मान के रूप में आपको-राजभाषा विभाग(बिहार सरकार)से पाण्डुलिपि पुरस्कार, दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार सहित सृजन लोक युवा कविता सम्मान-२०१७ भी मिला है l विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता, आलेख,गज़लें व समीक्षाएं निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं l दूरदर्शन से भी रचनाओं का प्रसारण हुआ है तो आप मंच संचालन में भी सक्रिय हैं l
बहुत ही बेहतरीन गजल है
इसी तरह बेहतरीन गजल लिखने के लिए शुभकामना करता हूॅ
बहुत खूब!
बहुत ख़ूब ! उम्दा ग़ज़ल !! हार्दिक बधाई !!!