इस धरती पर मां ईश्वर का है दूसरा रूप ,
मां की छवि है संसार का स्वरूप।
मां ही होती है हम सबकी जन्मदाता,
फिर भी नासमझ इंसान उसे नहीं है समझ पाता ।
मां है हमारे जीवन का आधार ,
मां में ही बसा हमारा संसार ।
मां है हर दर्द की दवा,
मां में समाया हर सुख का एहसास ।
मां की प्रार्थना से होती है हल हर मुश्किल,
सदा भरा रहता है आशीर्वाद से उसका आंचल ।
मां के दामन में होती ममता की छाया,
कुछ न और उसके दामन में समाया।
मां ने ही हमारे जीवन को संवारा,
मां ने ही किया सपनों को सुनहरा।
उसके आशीर्वाद का सदा हम पर पहरा,
मां का एक चेहरे के अलावा दूसरा न कोई चेहरा ।
मेरी विनती है सबसे सदा करना मां का सम्मान,
करना न कभी इसका अपमान।
ये है ईश्वर का अमूल्य वरदान ,
सदा रखना सब इसका ध्यान ।
# तृप्ति तोमर
रचनाकार परिचय : भोपाल निवासी तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। मध्य प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है।