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भारत में रहते हो फिर क्यों,
कहते हो डर लगता है ।
शायद चोर तुम्हारे मन का,
अब तक लगता जगता है॥
हिन्दू का है देश इसी से,
हिन्दुस्तान कहाता है।
धर्म-द्वेष का भाव तजो सब,
हिन्दू धर्म सिखाता है॥
मूर्त अमूर्त सभी पूजन विधि,
इसमें पाई जाती हैं।
इसीलिए वेदों की महिमा,
जग में गाई जाती है॥
अपने मन का चोर निकालो,
अरु जिहाद करना छोड़ो।
पशुओं का वध बंद करो,
गाँधी से नाता जोडो़॥
मरते दम तक जिसने अपना,
जीवन तुमको दान किया।
सिर्फ तुम्हारी खातिर जिसने,
अपने को बदनाम किया।।
हिन्दू होकर हित चिंतन वो,
भारत का नहीं कर पाए।
जिन्ना प्यारे सदा रहे पर,
हिन्दू कभी नहीं भाए॥
पाक देश दे डाला तुमको,
जैसे ये नापाकी हो।
फिर भी घबराहट है दिल में,
खुशी कभी नहीं झाँकी हो॥
कारण सोचो क्यों है ऐसा,
चोर कहाँ तुमने पाला।
पद छूटते ही तूने इतना,
कैसे जहर उगल डाला॥
#कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’
परिचय : कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’ की शिक्षा एमकाम,एमएड सहित साहित्याचार्य भी है। आप पीलीभीत(उ.प्र.) के बीसलपुर में रहते हैं। विधा की बात करें तो,गीत, मुक्तक,छंद,गजल लिखते हैं। कई सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,साहित्यक एवं धार्मिक संस्थाओं में दायित्व पर हैं। आपके रचित कालसेन चालीसा व सप्तक प्रकाशित हुए हैं तो,कुछ पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। साथ ही कवि सम्मेलन व क्षेत्रीय गोष्ठियों में सहभागिता भी करते हैं। कई विद्यालयों व संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।
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