बहू है तो वंश है,
बहू में ही पलता तुम्हारा अंश है।
बहू को पराया कहना एक वहम है,
बहू ही हर गम सहकर बनाए रखती तुम्हारा अहम है..
क्यूं फिर उसको माना जाता केवल भ्रम है।
बहू खुशी की लहर है,
फिर क्यूं कहा जाता उसे दुखों का कहर है..
क्यूं उसे हर दिन पिलाया जाता तानों का जहर है।
ये किसी एक की नहीं,हर घर की कहानी है,
जरा-सा सोने पे क्यूं दिया जाता ताना-वो तो महारानी है।
प्यार करोगे,तो प्यार मिलेगा,
वरना दुनिया भी देखेगी..बहू केवल लक्ष्मी नहीं,भवानी भी है।
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।