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दुःखी धरा की जनता सारी।
अब तो आओ कृष्ण मुरारी॥
झूठ खूब फल-फूल रहा है।
सच फंदे पे झूल रहा है॥
पशु समान इंसान हुए हैं।
डगमग अब ईमान हुए हैं॥
असत्य सत्य पे हुआ भारी।
अब तो आओ कृष्ण मुरारी॥
पहरेदार भक्षक बन बैठे।
सत्ता सुख पाकर के ऐंठे॥
जनता किससे आस लगाए।
दर-दर भटके आस गिराए॥
रोती है धरती बेचारी।
अब तो आओ कृष्ण मुरारी॥
द्वापर युग में जब तुम आए।
दुष्टजनों को मार भगाए॥
कलयुग में तुम फिर से आओ।
पीड़ित जन की त्रास मिटाओ॥
करता विनती वेद दुखारी।
अब तो आओ कृष्ण मुरारी॥
दुःखी धरा की जनता सारी।
अब तो आओ कृष्ण मुरारी॥
#वेदप्रकाश प्रजापति
परिचय : वेदप्रकाश प्रजापति उत्तरप्रदेश के इहालाबाद जिले के रिठैइयां गांव से हैं। १९८४ में संसार में आए वेदप्रकाश को पिता के शिक्षक, साहित्यकार व समाजसेवी(मृत्यु २००२)होने से लेखन विरासत में मिला है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)है। साहित्यिक लेखन कार्य में २००८ से विभिन्न विधाओं में लगे हुए हैं। पेशे से सरकारी (विद्यालय)कर्मचारी हैं,जबकि पत्रकारिता तथा समाजसेवा भी करते हैं।
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Wed Aug 16 , 2017
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