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ज़िन्दगी में बहार कर दूँगा,
दिल की कश्ती को पार कर दूँगा।
देख आकर तो आज महफ़िल में,
तुझको भी बेकरार कर दूँगा।
तेरे होंठो की इक हँसी के लिए,
आज सब कुछ निसार कर दूँगा।
तुम भी उड़ने लगोगे कुछ पल में,
दिल पे तुमको सवार कर दूँगा।
गीत गाने लगेंगी यह तेरे,
अपनी साँसें सितार कर दूँगा।
तुझको दुनिया सलाम कर उठे,
तेरी जानिब दयार कर दूँगा।
गिर पड़ेंगी ये ख़ुद ही दीवारें,
ऐसी ‘साग़र’ दरार कर दूँगा।
(अर्थ » जानिब-ओर,दिशा,तरफ, दयार- संसार)
#विनय साग़र जायसवाल
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