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ये सावन क्या आया,बहार आती है,
होता है खात्मा,भाई-बहिन के प्यार में जो तकरार आती है।
रक्षा बंधन कैसे मनाएंगे,नए-नए तरीके खोजते हैं,
न हो अगर पास तो,एक-दूसरे को उपहार भेजते हैं।
देखते हैं राह एक-दूजे की आंखें बिछाए,
करते हैं कमी महसूस,आंखों में नमी सजाए।
ए सावन न कभी किसी को उदास करना,
जितना हो सके,सभी भाई-बहिनों का दामन खुशियों से भरना॥
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
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