हमारे देश में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है,बल्कि एक धर्म है,और इस धर्म के भगवान हैं दुनिया के सबसे शानदार व सफल बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर। हमारे यहां क्रिकेटर होना कोई साधारण बात नहीं है। यहां तो क्रिकेटर हर दिल की धड़कन होते हैं, और फिर किसी भी मैच के दौरान विपरीत परिस्थिति में अच्छा खेलकर मैच बचाने वाला क्रिकेटर तो हमारे लिए सबसे बड़ा नायक होता है। सरहद पर खड़े उन जांबाजों से भी बड़ा,जो बिना किसी चूं के चुपचाप से देश की सीमा पर खड़ा होकर धूप-शीत की फिक्र किए बगैर गोलियों की बौछारों को सहता हुआ देश की रक्षा करता है। इस देश में किसी भी एक मैच में अच्छा खेलने वाला खिलाड़ी रातोंरात इतनी बड़ी शख्सियत बन जाता है कि,फिर उसके द्वारा विज्ञापन में दिखाया गया औसत से औसत माल भी धड़ल्ले से बिक जाता है। हमारे लिए क्रिकेट बस एक खेल नहीं है ,बल्कि ये हमारी भावनाओं से जुड़ा हुआ हमारा दीवानापन है। तभी तो पाकिस्तान को लाख गालियां बकने के बावजूद उसके साथ खेले गए क्रिकेट मैच से हमें कोई आपत्ति नहीं होती है। क्रिकेट को लेकर हमारा जुनून हम पर इस कदर हावी है कि,इसे आधार बनाकर देश में लाखों करोड़ों की सट्टेबाजी की जाती है,पर फिलहाल इन सब बातों को यहीं छोड़ देते हैं,क्योंकि इस बार क्रिकेट में हमारे लड़कों ने नहीं,बल्कि हमारी बेटियों ने कमाल कर दिया है। दरअसल इस बार विश्वकप महिला क्रिकेट में हमारी छोरियों ने अपने जबरदस्त प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया है। मिताली राज की अगुवाई वाली हमारी धाकड़ महिला टीम ने एक के बाद एक कई मैचों में बढ़त बनाते हुए ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर मेजबान इंग्लैंड के साथ फाइनल मैच खेला। भले ही हमारी टीम ९ रन से मैच हार गई हो,पर अपने असाधारण खेल से उन्होंने सभी का दिल जीत लिया है। १० टीमों के बीच हुए इस महारण में हमारे चिर शत्रु पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य प्रतिभागी टीमों को हराकर टीम इंडिया की बेहतरीन महिला खिलाड़ीयों ने ये साबित कर दिया है कि वे किसी भी मुकाबले में लड़कों से कम नहीं हैं;बल्कि वे हर क्षेत्र में लड़कों से दस कदम आगे ही हैं।
पूरी श्रृंखला के दौरान भारतीय महिला टीम के जबरदस्त प्रदर्शन ने क्रिकेट के दीवानों के इस देश में महिला क्रिकेटरों के प्रति भी लोगों के मन में सम्मान की भावना जाग्रत की है। इस देश में जहां पहले पुरुष क्रिकेटरों को जरूरत से ज्यादा सम्मान और दाम दिया जाता रहा है,वहीं अब इस प्रदर्शन से महिला खिलाड़ियों को भी उचित सम्मान और वेतन मिलने की उम्मीद है। वैसे भी इस पूरे खेल के दौरान महिला खिलाड़ियों ने हर स्तर पर ये साबित कर दिखाया है कि अगर उन्हें भी मौका दिया जाए और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तो वे किसी भी पुरुष खिलाड़ी से किसी मायने में कम नहीं हैं। फिर चाहे वो एकदिवसीय मैच में ६००० रन बनाने वाली शानदार कप्तान मिताली राज हो या फिर महज ११५ गेंदों में नाबाद १७६ रन बनाकर आस्ट्रेलिया को धूल चटाने वाली विस्फोटक बलेबाज हरमनप्रीत कौर। हमारी ये लाड़ली बेटियां इस विश्वकप के बाद अब इस कदर लोगों के दिलों पर छा गई हैं कि,अब जल्द ही देश की बड़ी और नामी कंपनियां उन्हें अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए लेने को बेताब हैं। मीडिया में आई खबरों की मानें तो विश्वकप में अपना जलवा बिखेरने वाली हरमनप्रीत कौर और टीम इंडिया की कप्तान मिताली राज को लेकर विज्ञापन बाजार में काफी उत्साह है। देश के बाजार पर अपनी नजरें लगाए बैठी तमाम कॉरपोरेट कंपनियां इन खिलाड़ियों से संपर्क साधने की कोशिश भी कर रहीं है। खबरों के अनुसार इन कंपनियों में रिलायंस जैसी बड़ी टेलीकॉम कंपनी भी शामिल है। अगर ये खबरें सच साबित होती हैं तो जल्द ही इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे देश की अन्य प्रतिभाशाली बेटियों पर भी पड़ता दिखेगा,जो समाज और लोक-लाज के जंजीरों के भय से उड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहीं हैं।
हाल ही में टी-२० विश्वकप के फाइनल मैच में पाकिस्तान के हाथों करारी हार झेलकर श्रृंखला गंवाने वाली टीम इंडिया में कोच पद को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत की महिला टीम द्वारा विश्वकप में किए गए शानदार प्रदर्शन ने क्रिकेट की दीवानी जनता की मायूसी को दूर करने का काम किया है। पहली बार महिला क्रिकेट को लेकर लोगों में दिखे उत्साह ने परोक्ष रुप से ही सही,पर देश के पुरुष टीम को एक मौन चेतावनी जारी कर दी है कि,अगर वे देश की जन-भावनाओं से खिलवार करेंगे और अपनी दौलत-शोहरत के नशे में धुत होकर खुद को देश की विरासत समझने की भूल करेंगे तो क्रिकेट की दीवानी ये जनता उनके स्थान पर अपने खेल के प्रति समर्पित महिला क्रिकेट टीम को ही अपना सारा प्यार देने से नहीं हिचकिचाएंगे,क्योंकि भारत की महिला टीम में पुरुष टीम के मुकाबले अधिक युवा जोश की आक्रामकता और अनुभवी खिलाड़ियों का तालमेल देखने को मिल रहा है। वर्तमान में महिला टीम की बल्लेबाजी,गेंदबाजी और फील्डिंग में जबरदस्त हौंसला दिखाई दे रहा है।
इंग्लैंड में खेले गए इस विश्वकप में अधिकतर मैचों के दौरान भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत की रोटेशन पॉलिसी में भी अच्छी रणनीति की छाप दिखाई दी है। मंधाना,मिताली और एकता बिष्ट से लेकर वेदा कृष्णामूर्ति और हरमनप्रीत कौर तक सभी ने अपना श्रेष्ठ देकर खुद को साबित किया है। इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए भविष्य में भारत की महिला टीम की ओर से और अधिक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। भारत के शीर्ष क्रम की तीन बल्लेबाज इस विश्व कप में शतक लगा चुकी हैं,जो क्रिकेट को धर्म मानने वाले इस देश की नई पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों के लिए उत्साहजनक है।
पूरी टीम अपने देशवासियों का दिल जीतने में सफल रही है। उनका यह शानदार प्रदर्शन उन लोगों के लिए भी करारा जवाब है जो लड़कियों को कमतर आंकते हैं, और लड़कों की चाहत में लड़कियों की हत्या जैसी घिनौना अपराध करते हैंl
परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैlशिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl