गुड़िया की आवाज़

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kalpana gagada
ये कैसा दर्द दिया,मेरी मौत को शर्मसार किया,
माना तुम नौजवान थे,जांबाज थे बहुत
ये क्या कर दिया नाजुक-सी ककड़ी को हाथों से
मसल दिया।
मैं गुड़िया नाजुक-सी,नन्हीं कली
दुलारी मां-बाप की,लाड़ली भाई की अपने।
जाती थी पाठशाला होकर बहुत खुश,
दिन उस भी कह मां को गई
आती हूँ मां जाकर स्कूल
रोज के रास्ते रोज की वो वादियों थी,
लोग वही और बाशिंदे वहीं के थे
न जाने मौत कहां से मुंह बाये सुरसा-सी खड़ी थी
तोड़ दिया फूल डाली से,
मसल दी कच्ची कली वहशीपन से
कुचला,मसला और निर्वस्त्र कर फेंक दिया बियाबान में
हाय रे मेरा अभागापन,न दिखा शव मेरा अस्ल किसी जानवर को,वो खा लेता तो देह का रह जाता सम्मान।
दया न आई तुम्हें,मौत को यूं शर्मसार कर दिया,
कितना तड़पती रही होगी,रोई भी होगी बहुत
जब तोड़ दिए होंगे हाथ-पाँव
गिड़गिड़ाई भी तो होगी भर नीर नयन में।
दरिंदगी की इन्तेहा हो गई,
ऐ-मानव के अंश,क्यूँ रहम न आया
जब घोंटा गला उस नन्हीं-सी कली का,
मौत तो सभी को आनी है इक दिन
बाद मौत के एक गुहार लगाती हूँ
‘हे मेरे परमात्मा,
मेरी देह को शर्मिंदा करने वालों
मौत पे तुम्हारी रोने वाला कोई न हो
जियो मगर अपना कहने वाला कोई न हो,
वादी का एक-एक जीव ओ कायनात संग
मेरे देगी बद्दुआ,जियो हजारों साल मगर
बिन अपनों के।
ऐ मेरा आंचल उतारने वाले तेरे भी एक बेटी हो,
और हो मेरी ही तरह शर्मिंदा हो।’
                                                                              #कल्पना गागडा़
परिचय : कल्पना गागड़ा हिमाचल राज्य के शिमला में रहती हैं। पेशे से आप सरकारी शिक्षा संचालनालय में अधीक्षक(वर्ग २)हैं। लिखने की वजह शौक है।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।