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इस कदर तनहाई का हुआ है आलम।
आईने में खुद को देखूँ तो कोई और नजर आता है।
भूले-भटके कोई आए भी खुशी का पल।
देख भी न पाऊँ और झट से गुजर जाता है।
बड़ा अजीब हाल देखा है रिश्तों के दरम्यां।
दिल में रहने बाला ही क्यों दिल से उतर जाता है।
खेल में दोनों जीत जाएं ये मुमकिन ही कहाँ।
कोई हार कर हँसता रहता,कोई जीतकर बिखर जाता है।
कुछ लोग ऐसे भी हैं दुनिया में जिन्हें खबर नहीं खुद की।
मगर ये खूब खबर रखते कि कौन किधर जाता है।
भुला चुका हूँ जिसे,फिर भी आसपास लगे।
इतनी जल्दी नहीं ‘अमित’,अपनों का असर जाता है।
#अमित शुक्ला
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