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हर रात का लो गजब फ़साना है,
बूढ़ी आँखों का अजब जगाना है।
नींद से बोझिल पर बेटे के इंतजार,
में माँ को लगी नींद भी भगाना है।
शहर भागता हुआ,रुकता कोई नहीं,
लगे हमें घर तो बस सराय खाना है।
छोड़ दिया गांव जिस दिन से हमने,
परदेसी मोहर देखा सबने लगाना है।
प्यार मोहब्बत सब बेकार की बातें,
परदेसियों को सिर्फ पैसा बनाना है।
जागता हूं मैं भी अपने के इन्तजार में,
चैन की नींद ‘केवल’ न वो जमाना है।
#आनंद पाण्डेय ‘केवल’
परिचय : आनंद पाण्डेय ‘केवल’ की उम्र 45 वर्ष है और आप सेवनिवृत्त शिक्षक (मुंबई) हैं। मुंबई में निवास है,पर पैतृक निवास उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में है। आप कार्यक्षेत्र के रुप में मुंबई में कम्पनी में कार्यकारी संचालक के तौर पर सक्रिय हैं। लेखन में रुचि है और पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं। मात्र एक वर्ष का लेखन अनुभव है और भावों की तुकबंदी पर अधिक लिखते हैं। तबला वादन में स्नातक होने के साथ ही कुछ अन्य उपलब्धियां भी पाई हैं। कवि मित्रों की रचनाएँ पढ़ने का चिंतन तथा मनन करना आपको अच्छा लगता है।
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