‘माँ हिंदी’ संजीव कुमार गंगवार जी द्वारा लिखित एक अमर ग्रंथ है | राजभाषा/राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित यह ग्रंथ हिन्दी साहित्य की जानकारियों को अपने आप में प्रत्येक कालखंड सहित समेटे हुए है, जिससे शोधकर्ताओं को अत्यधिक पसंद आयेगा ग्रंथ – माँ हिंदी | 280 पृष्ठों में लिखित यह दस्तावेज ज्ञान का भंडार है | श्री गंगवार जी ने कठिन परिश्रम से इसका निर्माण किया है | करीब 30 अध्याओं में हिंदी साहित्य की समूची जानकारियों को लिपिबद्ध किया गया है | साहित्य के साथ – साथ संस्कृति, कला, धर्म, समाज जैसे हर प्रमुख विषय पर प्रकाश डाला गया है |
हिंदी प्रेमी संजीव जी ने हिंदी भाषा का पूरा का पूरा इतिहास “माँ हिन्दी” में प्रकाशवान कर दिया है | मुझे लगता है, अब तक की यह अनूठी किताब है | मैं उनकी लेखनी का कायल हूं, हिंदी प्रेमी उनके इस रचना संसार को सदियों तक नहीं भुला पायेंगे | क्योंकि शुद्ध – सरल और इतनी साफ – सुथरी भाषा में शायद ही कोई इस तरह की किताब अब तक प्रकाशित हुई हो? जिस तार्किक ढंग से इसमें प्रस्तुतीकरण किया गया है वह बहुत क़ाबिले तारीफ़ है |
रचनात्मकता से लबालब ‘माँ हिंदी’ हर दृष्टि से अपनी ओर आकर्षित करती है | लोग भले ही अंग्रेजी के गुण गालें और उसे झाड-झाड कर आधुनिकता का परिचय देते रहें, मगर हिंदी आज भी दिलों की धड़कन बनी हुई है | और आने वाले समय में भी अनवरत बनी रहेगी |
“माँ हिंदी” देश-विदेश के सभी हिंदी भाषी या हिंदी प्रेमी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय और आमजन के पास अवश्य होनी चाहिए | साहित्यिक संस्थाओं को एक पहल शुरू करनी चाहिए ताकि इस तरह की अनमोल पुस्तकें ज्यादा से ज्यादा सम्मान पा सकें | इनके लेखकों का आत्मबल बढे और इसी तरह की बेहतरीन किताबें साहित्य जगत में दस्तक देती रहें |
अमर ग्रंथ – माँ हिन्दी के लिए श्री संजीव जी कोटि-कोटि शुभकामनाओं के पात्र हैं | उनकी इस क्रति को साहित्य जगत में उचित सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं, यही माँ सरस्वती से प्रार्थना है |
पुस्तक : माँ हिन्दी
प्रकाशक : साहित्य संचय, नई दिल्ली
लेखक : संजीव कुमार गंगवार
मूल्य : ₹ 300, पृष्ठ : 280
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl