माँ वसुंधरा तो पिता अंबर-सा साया। माँ शीतल आंचल तो पिता कड़कती धूप में छाया॥ माँ है पवित्र गंगा जल,तो पिता है पर्वत विंध्याचल। माँ है खुशियों का आँगन, वहीं पिता है रहा आवरण॥ माता-पिता है इंसान के रूप में ईश्वर। इनसे सदा सजा रहे हमारा घर-मंदिर॥ माता-पिता है जीवन […]