काव्य उत्सव में रचनाकारों ने नीरज को याद किया

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मातृभाषा एवं इन्दौर टॉक ने रचनाकारों को किया सम्मानित

इन्दौर। गीतऋषि गोपालदास नीरज के पुण्य स्मरण पर बुधवार को मातृभाषा एवं इन्दौर टॉक ने काव्य उत्सव आयोजित किया, जिसमें रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से नीरज को याद किया।

काव्य उत्सव में आशीष पँवार, रिया मोरे, ख़ुशी सिसौदिया, डॉ. दीप्ति मसंद शर्मा, पारस बिरला, निहारिका प्रजापति, अंशुक द्विवेदी ने काव्य पाठ किया।

मातृभाषा के संस्थापक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, इन्दौर टॉक के संस्थापक आशीष तिवारी, अतुल तिवारी व विकास जैन ने सभी को प्रमाणपत्र एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन हर्षित मालाकार ने किया व आभार आशीष तिवारी ने माना।
काव्य उत्सव में अंशुक द्विवेदी ने कविता में कहा कि ‘देश श्मसान नहीं होता, माँ का अपमान नहीं होता।’ रिया मोरे की कविता ‘सुत सावित्री सती लिखूँगी, तीव्र सूर्य की गति लिखूँगी।’
पारस बिरला ने कविता ‘बिल्कुल स्वच्छ हो और मोहब्बत से भरा हुआ, दिल मुझको तुम्हारा इन्दौर जैसा चाहिए।’
डॉ. दीप्ति मसंद शर्मा ने अपनी कविता ‘यूँ तो बहुत लोग पहचानते हैं मुझे, पर अफ़सोस औरों की नज़र से जानते हैं मुझे’, पढ़ी। आशीष पँवार ने ‘अब लगती है वीरान दुनिया उससे रूठ जाने पर’ पढ़ी।


ख़ुशी सिसौदिया ने ‘भीड़ से अलग है तू, है इंसान तू आम नहीं।’ निहारिका प्रजापति ने ’यातना सही, तभी तो प्रार्थना सफल हुई’ कविता पढ़ी, इसके साथ हर्षित मालाकार ने अपने काव्य पाठ में ज़िंदगी को तेरे साथ जीने का इरादा है, हर दुआ में सिर्फ़ तुझे ही माँगा है। यकीं न हो तो आ के देख मेरे गांव के बरगद को, हर धागा तेरे ही नाम का बांधा है’ पढ़ी। आयोजन में जयसिंह रघुवंशी, वैष्णवी, अभिषेक आदि मौजूद रहें।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।