कविता – श्रावण मास

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रिमझिम–रिमझिम बरसता पानी

रिमझिम–रिमझिम पानी की बूंदें,
देखो कितनी उन्मादित करतीं।
नयी–नयी कोंपलों को देखो
मानो सीपों से भर देतीं।

मधुवन की हरियाली देखो,
गोरी के सजीले नयनो को देखो।
मदमस्त मुखड़े की शौहरत को देखो
बलखाती–सी ज़ुल्फ़ों को देखो।

घूंघट में पग डोलते हुए,
शर्माती हुई, लजाती हुई, आती हुई गोरी को देखो।
हरियाली में छिपी सौम्यता को देखो।

हरी–हरी घास से सजी वसुन्धरा को देखो,
पुष्पों पर लहराते, मतवाले भंवरों को देखो,
ऐसा सौन्दर्य देखो, कहीं और न देखो।

इस सौन्दर्यतल मे समाविष्ट हो जाओ,
गोरी की चाल को देखो।
अश्कों में झलकते हुए प्यार को देखो।

अलसाये हुए नयनो को देखो,
मदमाती मुस्कान को देखो।
प्रकृति की अनुपम कृतियों को देखो,
उपरोक्त दृश्य कह रहे पावस को देखो।
हर ॠतु में बदलते हुए प्रकृति के स्वरूपों को देखो।

#श्रीमती प्रेम मंगल
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
मातृभाषा उन्नयन संस्थान, भारत

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।