Read Time3 Minute, 56 Second
शक्ति स्वरूपा दुर्गा थी वो अम्बा थी कल्यानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी।
कटि में बाँधे लाल काल-सी मैदां में वो उतर गई,
तोड़ महल के सारे बंधन शाही वैभव से मुकर गई।
उसे फिरंगी सेना की अब तो नींव हिलानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी॥
आज फिरंगी सेना में ऐसा कोहराम मचाया था,
मेरठ पटना दिल्ली क्या,लंदन तक थर्राया था।
कटे शीश से धरा पाट दी शोणित की नदी बहाई थी,
क्या अफसर क्या गोरी सेना सबकी लाश बिछाई थी।
गोरों के ही खूँ से उसको अपनी प्यास बुझानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी॥
राजवंश के बड़े सूरमा सारे भय से कांप गए,
रानी के तेवर देख इरादे शायद उनके भांप गए।
कितने शीश कटे रण मे कौन कहाँ गिन पाया था,
और फिरंगी सेना का तो एक नहीं बच पाया था।
मारुं और मरुं बस उसने इतनी मन में ठानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी॥
सन अठरा सौ सत्तावन में उनकी नींव हिला दी थी,
विश्व विजेता शासन को उसकी औकात बता दी थी।
फौलादी हथकंडा कोई उसको रोक न पाया था,
शीश कटाकर गिरा धरा पर जो भी सम्मुख आया था।
खेल खतम सारा कर डाला अब क्या आनी जानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी॥
गोरी चमड़ी वालों को उनकी औकात बता दी थी,
और तभी रानी ने अपनी खुद ही लाश बिछा दी थी।
नमन करुं मैं झाँसी को और वहाँ के पानी को,
दुर्गा रूप धरे देवी उस झाँसी वाली रानी को।
संकल्प मरण का लेकर भी तो उसको अलख जगानी थी,
रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी॥
#ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
परिचय: ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है। मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य हैं,परन्तु लगभग ७० वर्षों पूर्व परिवार यू़.पी. के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम. भी वहीं हुई। वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं। संस्कार,परंपरा,नैतिक और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। ४० वर्षों से लिख रहे हैं। लगभग सभी विधाओं(गीत,ग़ज़ल,दोहा,चौपाई, छंद आदि)में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।
काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० के करीब का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर ढेरों बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं।
आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं।
Post Views:
354