माँ की अनुभूति माँ बनने के बाद ही महसूस होती है- डॉ. पद्मा सिंह
इंदौर। माँ के लिए माँओं ने अपनी शाब्दिक आदरांजलि साझा संग्रह “माँ“ पुस्तक में कविताओं के माध्यम से व्यक्त की। इंदौर लेखिका संघ की सचिव मणिमाला शर्मा द्वारा संपादित एवं संस्मय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित संग्रह में 68 रचनाकारों ने माँ के प्रति अनूठी भावनाओं को शब्दों में बयां किया।
पुस्तक का गरिमामय विमोचन समारोह शासकीय श्री अहिल्या लाइब्रेरी में किया गया। इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पद्मा सिंह ने कहा अपनी माँ के मन की बात ख़ुद माँ बन जाने के बाद ही महसूस की जा सकती है। उन्होंने कहा, किसी रचना का सृजन माँ के समान ही कई भावनाओं के प्रसाद की तरह होता है। मुख्य अतिथि मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ने कहा ‘मातृशक्तियाँ सामाजिक जीवन के हर क्षेत्रों में शक्तिशाली और मज़बूती से अपनी उपस्थिति प्रकट करती हैं।’ विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष मुकेश तिवारी ने सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ दीं। अहिल्या लाइब्रेरी की क्षेत्रीय ग्रंथपाल लिली डावर ने सभी लेखिकाओं के प्रयास को अद्भुत बताते हुए मधुर गीत ‘तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है’ गाया। इंदौर लेखिका संघ की अध्यक्ष विनीता तिवारी ने कहा, माँ पर कुछ भी कहना नवाचार की तरह ही है। सिर्फ़ 15 दिनों में इतनी आकर्षक किताब को प्रकाशित कर संस्मय प्रकाशन ने असाधारण काम किया है। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार मनीषा शर्मा ने किया। पुस्तक के कवर का चित्रांकन वन्दिता श्रीवास्तव ने किया है।