माँ!
तुम क्या हो?
मेरे ख़ून का एक कतरा
और उसकी जान हो।
असंख्य दैवीय स्थलों की
यात्रा के पश्चात् मिलनेवाला
सुभग मुक्तिफल हो।
जन्मोजनम के देह की यात्रा
के बाद मिलनेवाला
चिर सुकून हो
दुर्लभ तीर्थ हो।
माँ!
तुम मेरी पृथ्वी, स्वर्ग और
मेरा ब्रह्मांड हो।
माँ!
तुम केवल मेरी और मेरी ही
माँ हो।
#डॉ. हंसा सिद्धपुरा
जामनगर – गुजरात
जीवन झांकी
- केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा श्रेष्ठ शिक्षिका इन्सेन्टिव अवॉर्ड * 2012 से सम्मानित निवृत्त प्रधानाध्यापिका
*15वें विश्व पुस्तक मेले में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नामवर सिंह के द्वारा प्रथम काव्य संग्रह ’देवदूतों का बयान’ का विमोचन - हिन्दी की प्रमुख पत्रिका दैनिक जागरण की विशिष्ट आवृत्ति ‘पुनर्नवा’ में गुजरात की श्रेष्ठ कवयित्री के रूप में तीन कविताएँ प्रकाशित
- मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी ‘साक्षात्कार’ में डॉ. रामकुमार वर्मा जन्म शताब्दी के समारोह के अन्तर्गत लेख प्रकाशित
- शीघ्र कविता संग्रह प्रकाशित