माँ के बिना लागे सूना–सूना।
माँ की पुकार भर देती कोना–कोना।
माँ है तो तू, सारा संसार लगे प्यारा–प्यारा।
माँ ही सबके जीवन में भर देती उजियारा।।
उंगली पकड़कर जब संभल कर चलना सिखाया।
दृढ़ता से जीवन की परख को समझना सिखाया।।
हम हैं तुम्हारे साथ, यूं ही आगे बढ़ते रहना।
पर्वतों की ठोकरों से यूं न घबराना।।
मन हो विचलित सदा, अपने पास पाना।
होंगी मुश्किलें राहों में, सूझ–बूझ से सुलझाना।।
मैंने अपने संस्कारों को देकर सिखाया आगे बढ़ना।
छवि हो मेरी तुम, रखोगी इसका मान।।
माँ के मान को हमेशा रखना गौरांवित।
माँ होती बड़ी प्यारी जो उर कर देती प्रफुल्लित।।
माँ ही ख़ुशियों से भर देती झोलियाँ, रखना इसका मान।
कितनी ही हो कठिन डगर पर रखना इसका ध्यान।।
#डॉ. योगिता सिंह, “हंसा”
कानपुर