लिवा क्लब द्वारा आयोजित पुस्तकों का विमोचन सम्पन्न

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मूल्यों के पुनर्वास की आवश्यकता को रेखांकित करती पुस्तकें-डॉ. शैलेन्द्र शर्मा

इंदौर। वर्तमान भ्रमित समय में हमें भौतिकवाद से परे अपने मूल्यों के पुनर्वास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन पुस्तकों में लेखिकाओं ने इसकी वर्तमान स्थिति, कारण और समाधानों पर सार्थक अभिव्यक्ति दी है। अंतस को स्पर्श करती रचनाएं सहजता को रेखांकित करती हैं। यह बात डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने बतौर विशिष्ट वक्ता व्यक्त किए।
लिवा क्लब द्वारा आयोजित डॉ. वसुधा गाडगिल के कविता संग्रह सूरजमुखी और अंतरा करवड़े के कहानी संग्रह ’गहरे पत्तों की आदतें’ का विमोचन शनिवार को हिंदी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में सम्पन्न हुआ।

विशेष अतिथि केन्द्रीय हिंदी निदेशालय के डॉ. दीपक पाण्डेय ने कहानी संग्रह की विविध कहानियों में व्यक्त मध्यमवर्गीय चिंता, स्त्री विमर्श, बाल मनोविज्ञान और वर्तमान समय की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए इसे मानवीय मनोभावों का दस्तावेज बताया। आपने कहानियों की सरलता और विषयों के नावीन्य के चलते इन्हें नवीन भावबोध की रचनाएं बताया।
वीणा पत्रिका के संपादक राकेश शर्मा ने कविता संग्रह सूरजमुखी की रचनाओं की तरलता, श्रेष्ठ व विस्तारित मन तथा सृजनात्मक अभिव्यक्ति की मौलिकता को रेखांकित किया।
विशेष अतिथि केन्द्रीय हिंदी निदेशालय की डॉ. नूतन पाण्डेय ने कविता संग्रह सूरजमुखी पर सारगर्भित चर्चा करते हुए एक स्त्री मन की कोमल अभिव्यक्ति से लेकर बदलते मूल्यों और प्रतिमानों के मध्य तटस्थ होकर अपनी भूमिका निभाते मानव मन पर खुलकर चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जावलेकर ने लेखिकाओं को उनके सृजन पर शुभकामनाएं देते हुए ऎसे लेखन को वर्तमान समय की आवश्यकता के रुप में रेखांकित किया।
वसुधा गाडगिल ने अपनी रचना प्रक्रिया और सृजन के प्रेरणा स्रोत के रुप में नर्मदा नदी का साथ होना और मनोभावों को गढ़ते विविध अनुभवों की बात की।
अंतरा करवड़े ने मानवीय संबंधों की शुष्क स्थिति और सब कुछ पाकर भी लक्ष्य से भटकने की विड़ंबनाओं के उलझावों को अपनी कहानियों के लिए विषय वस्तु के रुप में बताया।
इस अवसर पर वामा, सरल काव्यांजली उज्जैन और हिंदी परिवार द्वारा लेखिकाओं का सम्मान किया गया।
लिवा क्लब द्वारा आयोजित इस पुस्तक लोकार्पण प्रसंग पर स्वागत भाषण विश्वनाथ शिरढ़ोणकर ने दिया। विष्णु गाडगिल, अश्विन खरे, संतोष सुपेकर, अजीत देशपांडे द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। सरस्वती वंदना अंजना मिश्र द्वारा प्रस्तुत की गई। संचालन चक्रपाणि दत्त मिश्र ने और आभार सचिन करवड़े ने किया।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।