विकास दवे को महाराष्ट्र भारती सम्मान मुंबई में

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मध्य प्रदेश का साहित्य समाज हर्षित

मुंबई। महाराष्ट्र साहित्य अकादमी का सबसे बड़ा सम्मान महाराष्ट्र भारती डॉ. विकास दवे को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर मंत्री आशीष शेलार , वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल, श्री कन्हैया सिंह, श्री श्रीधर पराड़कर, श्री अमरजीत मिश्रा, अभिनेता आशुतोष राणा, मनोज जोशी और पद्मश्री अनूप जलोटा भी मंच पर उपस्थित रहे। सम्मान स्वरूप उत्तरीय, अलंकरण पत्र, प्रतीक चिह्न और एक लाख की सम्मान राशि का चेक प्रदान किया गया।
इस अवसर पर खचाखच भरे रंग शारदा ऑडिटोरियम में हुए श्री दवे के बाल साहित्य केंद्रित व्याख्यान को महाराष्ट्र के साहित्यकारों ने ऐतिहासिक निरूपित किया। श्री दवे ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सम्मान पुरस्कार भाग्य और कर्म से तो मिलते सुना है पर मुझे यह साहित्य जगत के स्नेह,आशीर्वाद की कृपा के कारण प्राप्त हुआ है। मैं इसे पूरी विनम्रता से संपूर्ण साहित्य जगत के चरणों में अर्पित करता हूं।


वरिष्ठ पत्रकार श्री दवे इस समय साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक हैं और विगत तीन दशकों से बाल पत्रिका देवपुत्र के संपादक रहे हैं। वे भारतीय बाल साहित्य शोध संस्थान के निदेशक के रूप में विगत 25 वर्षों से बाल साहित्य और बाल पत्रकारिता में शोध कार्य संपन्न कराते आ रहे हैं। 85 से अधिक पीएच.डी. के शोधार्थियों के मार्गदर्शक रहे श्री दवे केंद्र सरकार की साहित्य अकादमी में जनरल काउंसिल के मेंबर भी मनोनीत किए गए हैं। डॉ. दवे की साहित्य यात्रा अत्यंत गरिमामयी रही है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के प्रांत संगठन मंत्री के नाते विगत एक दशक में उन्होंने मध्य प्रदेश में साहित्यकारों को परिवार सूत्र में बांधने का एक बड़ा कार्य संपन्न किया।

साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन की कमान संभालने के बाद उन्होंने पिछले 5 वर्ष के सम्मान पुरस्कारों के निर्णय करवाते हुए उन्हें प्रदान करने का एक लंबा कार्य संपन्न किया।
साहित्य अकादमी को ग्रामीण अंचलों तक ले जाना और प्रत्येक छोटे, बड़े साहित्यकार की पहुंच अकादमी के निदेशक और उनकी योजनाओं तक पहुंच बनना उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि रही। संपूर्ण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के साहित्य जगत में हर्ष की लहर है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।