उम्मीद से हो क्या…

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कविता – उम्मीद से हो क्या

अक्सर होने वाली माँ के लिए कहा गया,
उम्मीद से हो क्या
क्या होता है उम्मीद से होना
उम्मीदें जिंदगी को बेहतरी से
जीने का हौसला देती हैं,
ये वो खुशी, वो अहसास है जो उसे
औरत से माँ बना देती है
किसी को बेशुमार प्यार करने
की चाहत देती है
वो नौ महीने का सफ़र
वो बीज से वृक्ष बनने तक की यात्रा में
ढेरों आँधी तूफान-सा कष्ट झेलना
कभी सूरज की पहली किरण-सी
बच्चे की पहली हलचल
वो बारिश की बूंदों सी नन्हीं हिचकियां
और वो अहसास जब आपके भीतर
एक नन्ही कोपल खिल रही हो
जिसकी जड़े आपके प्रेम का प्रतीक होती है
और जब उस वृक्ष पर फल पकेगा
दुनिया मे नन्हें कदम रखने को तैयार होगा
तब ढेरों पंछी आकर बैठेंगे टहनियों पर
साँझ का सूरज, झिलमिल तारे सब
स्वागत को आतुर होंगे
कोई दादा कोई नाना कोई बुआ
कोई घुट्टी ,कोई काजल, तो कोई खिलौने
सब अपने अपने हिस्से का प्यार लेकर आएंगे
आख़िर उम्मीदें होती है
आपके भीतर का प्रेम जगाने के लिए
एक नई पीढ़ी, एक नई सदी, एक नई सृष्टि के निर्माण के लिये

#आयुषी भण्डारी
कवियत्री एवं लेखिका
इन्दौर

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