यूँ ही दिल को
तड़पना ठीक नहीं है।
गमो के सागर में
डूबे रहना ठीक नहीं है।
एक बार तो दिलसे
उसे तुम याद करो।
शायद उसकी तस्वीर
तेरे दिलमें छाप जाये।
और तेरी तड़प
फिर मिट जाये।।
जैसे जैसे चाँद धरा पर
चांदनी को बिखेरता है।
वैसे वैसे दिलमें अजब सी
एक हलचल होने लगती है।
जो किसी को दिलमें आने का
निमंत्रण देने लगता है।
जिसे न कभी देखा न जाना
पर फिर भी वो आ जाता है।।
अपने दिलका हाल सुनाओ।
मोहब्बत के गीत तुम
आज गुन गुनाओं।
आ गया है जो
मिलने का मौका तो।
अपने मेहबूब को आज
कुछ तो निशान दे जाओे।।
जब भी गिरती है आकाश से
हल्की हल्की पानी की फोहर।
मेरा यौवन मचलने सा लगता है।
और जब बदल गराजने
और तड़कने लगते है।
तो ये दिल किसी
कोने में सिमिट जाता है।।
जिस तरह गरज रहे है
बदल आज कल।
उसी तरह से मन
पीड़ित हो रहा है।
और मुकमल साथी की
खोज में भटक रहा है।
और दिलकी पीड़ा को
बड़ाये जा रहा है।।
हंसती हो जब तुम तो
चेहरे पर फूल खिल जाते है।
प्रीतम की यादों में खुदको
महसूस कर लेते हो।
और अपने स्नेह प्यार से
उसे प्रेम सागर में डूबो देते हो।
और जन्नत का आनंद फिर
भर पुर तुम लेते हो।।
जय जिनेंद्र देव की
संजय जैन “बीना” मुंबई