9 दिन में 1000 से अधिक लोगों का सहायक बना ‘सेवा सर्वोपरि’

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इंदौर।

कहते हैं व्हाट्सअप और फ़ेसबुक केवल मनोरंजन का साधन हैं पर यहीं वर्तमान दौर में आए आपदा काल में महज़ कुछ ही कवि साथियों ने मिलकर देशभर में एक हज़ार से अधिक मरीज़ों के सहायक बनते हुए उनकी जान बचाई। 
मातृभाषा उन्नयन संस्थान एवं जैन कवि संगम समूह से जुड़े साथियों द्वारा देश के किसी कोने से आने वाली आवाज़, जिसमें ऑक्सीज़न सिलेंडर से लेकर दवाईयाँ, अस्पतालों की उपलब्धता, रेमडीसीवीर, टोसि जैसे इंजेक्शन, प्लाज़्मा, चिकित्सक परामर्श इत्यादि के लिए तत्काल जुट जाने वाला हिन्दी साहित्य कुल इस समय मानवता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
साहित्य प्रेमियों ने एक व्हाट्सअप समूह ‘सेवा सर्वोपरि’ का निर्माण किया और इस समूह में सागर से डॉ. अखिल जैन, संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अमित मौलिक, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी के नेतृत्व में, दिल्ली से भावना शर्मा, कवि श्रुति जैन अतिशय, संजना जैन, पलक जैन, कंचन नामदेव, अमन जैन, आकाश जैन, नेहा नाहटा, इन्दौर से रिनी जैन, ऋषभ जैन ऋषभ, हिमांशु भावसार हिन्द, नीना जोशी, मौसम शाह, संदीप सिंह परमार, गौरव साक्षी, पत्रकार रोहित त्रिवेदी, राशु जैन, छतरपुर से नम्रता जैन, अलीराजपुर से सुरभि जैन, सपन जैन काकड़ीवाला, भोपाल से अमृता पाण्डेय, झालोन से सजल जैन, सागर से अरिहंत जैन, ऋषभदेव से नरेंद्रपाल जैन, भीलवाड़ा से शालू जैन, विनेश सिंघई, कुक्षी से देवेंद्र जैन, वारासिवनी से मीना विवेक जैन, टीकमगढ़ से शुभम आदि 50 से ज़्यादा साथी सक्रियता से 24 घण्टे कार्य कर रहे हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा चलाये गए ‘बनें प्लाज़्मा योद्धा’ अभियान को भी अच्छा प्रतिफल मिल रहा है, फिलहाल, उसमें भी प्लाज़्मा दान देने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इस समूह के द्वारा सोशल मीडिया, फ़ोन, जान-पहचान, परिचित इत्यादि माध्यम से आवश्यक मरीज़ों की जानकारी आती है, उसके बाद कार्य और शहर के अनुसार जुड़े हुए साथी तत्परता से उस आवश्यकता को उपलब्ध करवाने में जुट जाते हैं। 24 घण्टे कोई न कोई सेवादार सक्रिय रहकर लोगों की आवश्यकताओं को नि:शुल्क पूर्ण करवाने में सहायक बन रहे हैं। शासकीय सेवा में संलग्न अधिकारियों, राजनैतिक संबंधों, चिकित्सकीय संबंधों पर सम्पर्क कर सहायता उपलब्ध करवाने के लिए ‘सेवा सर्वोपरि’ का यह दल निरंतर कार्यरत है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।