विश्व थिएटर दिवस और होली के उपलक्ष्य में संस्कार मंच और ग्रीन लिटरेचर साहित्यिक मंच की ओर से काव्य गोष्ठी और रंग-संगीत कार्यक्रम कवयित्री अनीता जैन के निवास पर आयोजित हुआ। इसमें वैश्य कॉलेज रोहतक के वाइस प्रिंसिपल और ज्योग्राफी विभागाध्यक्ष एवं संगीत के ज्ञाता डॉ संजय गुप्ता ने बतौर मुख्य अतिथि और एडवोकेट नेहा धवन प्रदेश प्रवक्ता भाजपा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन ग्रीन लिटरेचर साहित्यिक मंच की अध्यक्ष एवं गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ गीतू धवन भुटानी ने किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य जहां एक साथ मिलकर होली जैसे पर्व को मनाना रहा, वहीं रंग-संगीत के जरिए जीवन में रंग और संगीत भरने की चेष्ठा भी की गई। पूनम मनचंदा की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज़ किया गया। डॉ संजय गुप्ता ने जब अपने गिटार , हारमोनियम ,बांसुरी और माउथऑर्गन की सुरीली धुनों पर गज़लें प्रस्तुत कीं तो सारा माहौल खुशी के रंगों से सराबोर और शायराना हो गया। फिर तो कवि गोष्ठी में भागीदारी कर रहे कवियों ने अपने भावों के रंग बिखेरने शुरू कर दिए। दीपक प्रताप ने कहा फूलों का यह दौर सुहाना पल पल रंग बदलता है, तो वही नीरज मनचंदा ने कहा अक्सर उड़ जाते लगे लगाए रंग चेहरों के, जीवन का है यह भी एक कमाल बिना होली के। पृथ्वी सिंह बेनीवाल ने संदेश देते हुए कहा प्रेम से मिलकर खेलो फाग तुम्हारा संपूर्ण जाएगा जाग। डॉ गीतू धवन ने अपनी मुक्त छंद कविता में भावों को उकरते हुए कहा कि चलो इस बार होली पर क्यों न कुछ ऐसा करें कि हर मन रंग जाए खुशी के रंग में। अनीता जैन ने ग़ज़ल का एक कमाल सा शेयर पढ़ा ये उल्फ़त की रस्में निभाती है होली, मुहब्बत की दुनिया सजाती है होली। पूनम मनचंदा ने कुछ इस अंदाज में रचना रखी कि पिचकारी की फुहार करें जो दिल पे वार, लगे मीठी तकरार गारी भी लगे प्यार, तो समझो होरी है।
एडवोकेट नेहा धवन ने एक क्षणिका में अपने भाव पिरो दिए कि पूर्णिमा की रात की दूधिया चांदनी के समंदर में, मेरे भावों की कश्ती पहुंच की जाती है अपने चांद के पास।
गोष्ठी में सुशील हिंदूस्तानी, साहित्यिक संस्था प्रेरणा परिवार के निदेशक एवं वरिष्ठ पत्रकार शुभकरण गौड़, माहिया समीर ने भी गांव के अनेक चित्र अपनी रचनाओं में बिखेर दिए। रंगमंच से जुड़े कलाकार लोकेश मोहन खट्टर और प्रतिभा सिंह राठौर ने *कथा एक कंस की इस नाटक के कुछ एकल संवाद सबके सामने प्रस्तुत कर अपने अभिनय की छाप छोड़ी। कार्यक्रम में डॉ संजय गुप्ता के वाद्ययंत्रों की धुनों पर आशा अग्रवाल, सुदेश भुटानी ने गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ एनके गर्ग ऑर्थो सर्जन , डॉ सुनीता गर्ग जनरल सर्जन, रिचा फौगाट, सावित्री प्रधान शीला गुप्ता, दीपक मित्तल , निधि मित्तल ,सुनीता गुप्ता ,नितिन जैन ने कार्यक्रमों का भरपूर आनंद उठाया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संजय गुप्ता जी और लोकेश मोहन खट्टर जी को मंच की ओर से सम्मानित किया गया। काव्य और संगीत के मिलन से ही इस धरती के सारे रंग जीवित हैं। ये कहते हुए अनीता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम का अंत किया।