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मेरे देश का सम्मान होना ही था
लबों पर मुस्कान होना ही था
मेरे मुल्क से है कितनी चाहत
सच कहूं अभिमान होना ही था
साया हो सर पर गर माँ पिता का
काम जो हो आसान होना ही था
रब की होती है बड़ी मेहरबानी
समस्या कोई हो निदान होना ही था
बड़ी ताकत है मोहब्बत में यारों
दो जिस्म मगर एक जान होना ही था
-किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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