
कलमकार हम भारत के,
कुछ रोज नया रचाएंगे।
कलम की ताकत से हम,
भ्रष्टाचार मिटाएंगे।
सच्चाई की कलम हमारी,
और रक्त की स्याही है।
जग के सारे दुष्टों को,
नागिन सी डसने आई है।
दोधारी तलवार है ये,
गुस्सा ,प्यार जताने आई है।
हर सुख दुःख में सबका,
साथ निभाने आई है।
सत्य और ज्ञान की कीमत,
जग को बताने आई है।
गीता का उसका खोया,
सम्मान दिलाने आई है।
खादी में छिपे भेड़ियों की,
पहचान कराने आई है।
कौन है अपना कौन पराया,
ये भेद बताने आई है।
देश के वीर शहीदों की,
कथा सुनाने आई है।
नई पीढ़ियों को उनका,
इतिहास बताने आई है।
पाप की लंका में फिर से,
बवाल मचाने आई है,
पापियों को उनके अब,
पाप गिनाने आई है।
देश के सारे गद्दारों को,
नानी याद दिलाने आई है
रामायण, महाभारत का,
हमें सार बताने आई है।
कुरीतियों, कुप्रथाओं को,
आँख दिखाने आई है।
संस्कृति और सभ्यता का,
हमें पाठ पढ़ाने आई है।
निर्दोषों को कलम हमारी,
न्याय दिलाने आई है।
लाचारों को उनके सारे,
अधिकार दिलाने आई है।
बेबसी में बेबस लोगों में,
नई आस जगाने आई है।
सूखे होंठों पर फिर से,
मुस्कान खिलाने आई है।
कलम हमारी बिके कभी ना,
ये कसम दिलाने आई है।
कलमकारों को उनका,
धर्म बताने आई है।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
प्रा.वि. -उजीतीपुर
वि.ख.-भाग्यनगर
जनपद-औरैया