0
0
Read Time42 Second
जनसरोकारों को भूल गए है
राजा स्वहित साध रहे है
स्वयं पांच लाख वेतन पा रहे है
जनता को महंगाई से रुला रहे है
किसान कंगाली मे बदहाल है
व्यापारी बेचारा तंगहाल है
गरीब की गरीबी बढ़ती जा रही
उनकी अमीरी आकार बढ़ा रही
आर्थिक असमानता मुहं चिढ़ा रही
समाज मे वह खाई बढ़ा रही
इस बजट मे भी कुछ नही मिला
बजट अमीरो का पिटारा ही रहा
प्रभु सरकार को सद्बुद्धि दे दो
गरीबो को भी जीने का हक दे दो।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
366