सौम्य, शालीन और हिंदी के प्रति समर्पित और निष्ठावान् विदुषी प्रो.वशिनी शर्मा नहीं रहीं. विनम्र श्रद्धांजलि !!!

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सौम्य, शालीन और हिंदी के प्रति समर्पित और निष्ठावान् विदुषी केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व हिंदी प्रोफ़ेसर प्रो.वशिनी शर्मा का हृदय गति रुक जाने से आज शनिवार को आगरा में देहांत हो गया.वशिनी जी का जन्म कर्नाटक के (हल्लीखेड) नामक स्थान पर सन् 1944 में हुआ था.
उनका कार्यक्षेत्र अध्यापन एवं लेखन से जुड़ा रहा. साहित्य, संस्कृति, मित्र मंडली, फिल्मों में उनकी गहरी अभिरुचि थी. उन्होंने विश्व भऱ के हिंदी शिक्षकों को हिंदी शिक्षण की नई-नई तकनीकों से परिचित कराने के लिए हिंदी शिक्षण बंधु नाम से एक वैब मंच का गठन किया था. तथा अस्मि नामक एक ब्लॉग का लेखन भी वह नियमित रूप स करती रहीं.

वशिनी जी के शब्दों में…

“मैं क्या हूँ /जन्म लेना और पलना मेरे हाथ में नहीं था / पर खूब प्यार से पली /कोई दुख -दर्द नहीं /एक प्रेमिल मन के हाथों आँचल इतना भरा कि सब कुछ भीग गया /लिखना कम पढ़ना अधिक /साहित्य से अच्छे पाठक का नाता बना रहा / अभी भी बना हुआ है/ नारी मन को समझने का प्रयास मात्र /और क्या –”

वैश्विक हिंदी सम्मेलन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।