सौम्य, शालीन और हिंदी के प्रति समर्पित और निष्ठावान् विदुषी केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व हिंदी प्रोफ़ेसर प्रो.वशिनी शर्मा का हृदय गति रुक जाने से आज शनिवार को आगरा में देहांत हो गया.वशिनी जी का जन्म कर्नाटक के (हल्लीखेड) नामक स्थान पर सन् 1944 में हुआ था.
उनका कार्यक्षेत्र अध्यापन एवं लेखन से जुड़ा रहा. साहित्य, संस्कृति, मित्र मंडली, फिल्मों में उनकी गहरी अभिरुचि थी. उन्होंने विश्व भऱ के हिंदी शिक्षकों को हिंदी शिक्षण की नई-नई तकनीकों से परिचित कराने के लिए हिंदी शिक्षण बंधु नाम से एक वैब मंच का गठन किया था. तथा अस्मि नामक एक ब्लॉग का लेखन भी वह नियमित रूप स करती रहीं.
वशिनी जी के शब्दों में…
“मैं क्या हूँ /जन्म लेना और पलना मेरे हाथ में नहीं था / पर खूब प्यार से पली /कोई दुख -दर्द नहीं /एक प्रेमिल मन के हाथों आँचल इतना भरा कि सब कुछ भीग गया /लिखना कम पढ़ना अधिक /साहित्य से अच्छे पाठक का नाता बना रहा / अभी भी बना हुआ है/ नारी मन को समझने का प्रयास मात्र /और क्या –”
वैश्विक हिंदी सम्मेलन