स्त्रीकर्तव्य

2 0
Read Time2 Minute, 1 Second

 सिंदूरा और वैभव “लव वर्डस” के नाम से जाने जाते थे. बैकिंग के कोचिंग सेंटर में दोनो की मुलाकात हुई थी. प्रतियोगिता परीक्षा समाप्त होते ही प्यार इतना परवान चढ़ा की दोनो ने शादी कर ली.जब रीजल्ट आया तो सिंदूरा का चूनाव हो गया जबकि वैभव पीछे रह गया था.जल्दी ही सिंदूरा की नौकरी लग गई .शुरु-शुरु में सब कुछ ठीक-ठाक रहा. वैभव ने भी एक फार्म में नौकरी कर ली.सिंदूरा की आय वैभव के आय पर भारी था. धीरे धीरे तनाव बढ़ने लगा.पुरूष का अहंकार स्त्री के कठिन परिश्रम पर भारी पड़ने लगा था.रही सही कसर सिंदूरा के माँ बनने की भूमिका ने पूरी कर दी.मैटरनीटी लीभ खत्म होते ही मामला दरवाजे से बाहर झांकने लगा.नासमझी यह थी कि सिंदूरा नौकरी छोड़ दे और घर में रह कर नवजात शिशू की देखभाल करे.क्योंकि यही स्त्रीकर्त्तव्य है.एक दिन वैभव अपनी रिपोर्ट देने बास के पास गया. वे फोन पर पत्नी से बात कर रहे थे. मैडम साहिबा आप बस मीटिंग अच्छे से संभाले डिनर बनाने की चिंता हम पर छोड़ दे.बदले में एक मीठी मुस्कान दे दें. वैभव आश्चर्य में पड़ गया क्योंकि बास का मतलब जो केवल हुक्म चलाये पर यहाँ तो मामला उल्टा था.वैभव बिना रिपोर्ट दिए ही घर पहुँचा.कैसीयर महोदया आज से घर का बास मैं हूँ उसने किचन का एपरन गले में डाल बच्ची को गोद में लेते हुए कहा.
रिमझिम झा

कटक.ओडिशा

matruadmin

Next Post

रिश्वत का देवता

Wed Oct 21 , 2020
रेल अपनी पूर्ण रफ्तार में थी | कढाके की ठंड में पाखाने के नजदीक ठीक दरवाजे के सामने जमीन पर फटे-पुराने चीथड़ों में एक निर्धन किसान बैठा हुआ था | वह ठंड से कांप रहा था और बार-बार अपनी जेब को टटोल रहा था | वह यह प्रयास निरन्तर पिछले […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।