सिर फोडोगे अन्नदाता का,
या फिर इन्हें रुलाओगे….
कान खोल कर सुन लो राजा,
सत्ता में वापिस ना आ पाओगे…
जिन पर बरसने फूल थे चाहिए,
उन किसानों पर लाठियां बरसाई हैं…
धरतीपुत्र का लहू बहा है,
समझो सिंहासन की शामत आई है..
यह अनहोनी नहीं होनी थी,
अब तो बड़ा पछताओगे..
कान खोल कर सुन लो राजा,
सत्ता में वापिस ना आ पाओगे..
झूठे नारे राजनीति के झूठे इनके लारे हैं,
कभी कर्ज़ कभी फसल ने मारे ये जमीदारें हैं..
और मिट्टी के बेटे का दिल जो दुखेगा,
तो राजा मिट्टी में मिल जाओगे..
सिर फोडोगे अन्नदाता का,
या फिर इन्हें रुलाओगे..
कान खोल कर सुन लो राजा,
सत्ता में वापिस ना आ पाओगे..
सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड)