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कोई शिकवा नही कि तू हम को मिला नही।
बिछङ के भी तुझसे अब कोई फासला नही।
इज़्तिराब ऐ शौक हम से अब न पूछिये
मेरी मोहब्बतों का मिला कोई सिला नही।
बहार आई भी और आकर चली भी गई
दिल मेरे का फूल ही बस खिला नही।
पशेमाँ हैं हम जो बदले हो ,मौसमौं की तरह
दुआ सलाम का भी कोई सिलसिला नही।
काँप गये है पत्थर मेरे बहते आँसू देख कर
बस ऐ संगतराश दिल तेरा ही पिघला नही।
#सुरिंदर कौर
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