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लहर-लहर लहराए तिरंगा
आसमान तक जाए तिरंगा,
भारत के गौरव की गाथा
जन-जन तक पहुंचाए तिरंगा।
लहर-लहर लहराये तिरंगा…॥
मीठी वाणी बोल के हम-सब
जग में प्रेम बढ़ाएंगे,
सच के पथ पर जाएंगें हम
देश का मान बढ़ाएंगे हम।
लहर-लहर लहराए तिरंगा…॥
छोटे और बडे़ का सारा
भेद मिटा कर जाएंगे,
समता के सुख से तर होकर
गीत मिलन के गाएंगे।
लहर- लहर लहराए तिरंगा…॥
नेकी और बदी का सारा
खेल धरा पर होगा प्यारा,
छोड़ अहम की अपनी गठरी
मन से पाप मिटाएंगे।
लहर-लहर लहराए तिरंगा…॥
सु-कर्मों से पहचान बनाकर
स्वर्ग धरा पर लाएंगे,
जन से जन को गले लगाकर
‘राम’ राज्य ले आएंगे।
लहर-लहर लहराए तिरंगा…॥
#कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
परिचय : कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) में गांधीनगर में बसे हुए हैं।१९६५ में जन्मे कार्तिकेय जी कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। रचनाओं के प्रकाशन सहित कविताओं का आकाशवाणी पर प्रसारण भी हुआ है। आपकी संप्रति शास.विद्यालय में शिक्षक पद पर है।
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Sat Jan 27 , 2018
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