ओ रे मनवा

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ओ रे मनवा तू काहे को रोए,
ये दुनियां है बेगानी।
ना है जग में तेरा कोई ,
बन जा तू मीरा दीवानी।

प्रभु चरणों में वार दे जीवन,
ये दुनियां है आनी जानी।
मतलब के हैं रिश्ते नाते ,
मत कर तू नादानी।

सीता जैसी पतिव्रता संग,
जग ने की बहुत मनमानी।
तुझ पर ना है जग को भरोसा,
मत कर तू हैरानी।

अपनों से ही छली द्रोपदी,
जुए की बन गई चीज बेगानी।
भरी सभा में दुष्टों ने मिलकर,
कर ली अपनी मनमानी।

बीच सफ़र में छोड़ के जाना,
है जग की रीति पुरानी।
सुख में साथी हैं बहुतेरे,
दुःख में है दुनियां अनजानी।

लंबा सफर है,बीच भंवर है,
अब हार है मैंने मानी,
कृष्ण कन्हैया तू ही खिवैया,
अब तेरे बिन कोई ना सानी।

भव सागर से पार करो प्रभु,
अब दुनियां रास ना आनी।
घाव हरे हैं ,जग ने दिए हैं,
दिल में दर्द है इनकी निशानी।

पग पग पर मिले हैं धोखे,
जिसको भी अपना मानी।
हे मुरलीधर करो कृपा अब,
अब उंगली तेरी है थामी।

ओ रे मनवा तू काहे को रोए,
ये दुनियां है बेगानी।
ना है जग में तेरा कोई,
बन जा तू मीरा दीवानी।

सपना सिंह
औरैया(उत्तरप्रदेश)

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हमने अपने-पराये देखे

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।